Jitne muhn utni baten hindi kahani | हिंदी कहानी जितने मुंह उतनी बातें
हिंदी कहानी - जितने मुंह उतनी बातें बहुत समय पहले एक व्यापारी था उसके पास एक गधा था वह और उसका बेटा प्रत्येक सुबह अपना सामान गधे पर रखकर शहर बेचने जाते थे और शाम को शहर से वापस लौटते समय गधे पर कोई सामान नहीं होता था एक दिन जब शाम को व्यापारी और उसका बेटा गधे के साथ वापस लौट रहे थे तो रास्ते में एक राहगीर व्यापारी से बोला कि - "गधे पर कोई सामान नहीं है। तुम अपने बेटे को गधे पर बिठा दो।" व्यापारी को राहगीर की बात उचित लगी उसने अपने बेटे को गधे पर बिठा दिया और आगे चल पड़ा । कुछ दूरी तय करने के बाद उन तीनों को फिर से एक राहगीर मिला बेटे को गधे पर देखकर बोला बूढ़ा बाप तो पैदल चल रहा है और गधे पर आराम से सवारी कर रहा है । व्यापारी का बेटा गधे पर से उतर कर अपने पिता से बोला - "पिताजी आप बैठ जाइए।" व्यापारी गधे पर बैठ गया और चल पड़ा ।कुछ दूर आगे चलकर फिर से एक और राहगीर मिला उसने कहा कि- "अरे भाई गधे पर अपने बेटे को भी बिठा लो इतना छोटा बच्चा पैदल चल रहा है।" राहगीरके कहने पर व्यापारी और उसके पुत्र गधे पर बैठ कर चल पड़े । गधा वजन अधिक होने के कारण ...