Mahadevi Verma | महादेवी वर्मा जीवन परिचय
बरेली के पास नवाबगंज कस्बे के निवासी स्वरूप नारायण वर्मा के साथ महादेवी वर्मा का विवाह अल्पायु में हुआ किंतु इनको वैवाहिक जीवन के प्रति विरक्ति- सी रही ।
प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचार्य के रूप में महादेवी वर्मा ने लंबे समय तक कार्य किया । महादेवी वर्मा का निधन 1987 में इलाहाबाद में हुआ ।
छायावादी युग की प्रमुख कवयित्री महादेवी वर्मा है । अंतर्मन की वेदना एवं पीड़ा की अभिव्यक्ति तथा अज्ञात अलौकिक सत्ता के प्रति समर्पण भाव इनके काव्य में मिलता है । "आधुनिक युग की मीरा" इसी कारण महादेवी वर्मा को कहा जाता है । काव्य लेखन के अलावा इनको रेखा चित्र, संस्मरण एवं निबंध आदि गद्य विधाओं में भी सफलता मिली । महादेवी वर्मा ने रेखा चित्र एवं संस्मरण विधा को नई ऊंचाई प्रदान की है ।इन्होंने संस्मरण में साधारण से प्राणी एवं पशु पक्षियों को प्रधान चरित्र बनाकर मार्मिक तथा भावनात्मक शैली के बल पर इनको असाधारण व्यक्तित्व प्रदान किया है । इनकी श्रृंखला की कड़ियां सन् 1942 रचना से हिंदी साहित्य में स्त्री विमर्श की शुरुआत मानी जाती है ।
प्रमुख रचनाएं
नीरजा , निहार, रश्मि, पथ के साथी, मेरा परिवार (रेखाचित्र संस्मरण) श्रृंखला की कड़ियां, साहित्यकार की आस्था, विवेचनात्मक निबंध एवं अन्य निबंध, संकल्पिता, क्षणदा (निबंध संग्रह) इनकी प्रमुख रचनाएं हैं
पुरस्कार
- Q.andA. Did mahadevi Verma got any awards if yes for which poems?
'सेकरिया'पुरस्कार 1934 'नीरजा' के लिए, मंगला प्रसाद पारितोषिक 1943, पद्मभूषण 1956 , ज्ञानपीठ पुरस्कार 1982 'यामा' काव्य संग्रह हेतु , पद्म विभूषण 1988 मरणोपरांत आदि पुरस्कार महादेवी वर्मा को प्राप्त हुए ।