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Showing posts from March, 2021

Rajasthan ke abhyaran | राजस्थान के वन्य जीव एवं अभ्यारण

"वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम  1972" में भारत सरकार ने पारित किया। इस अधिनियम के तहत संरक्षण स्थलों को  तीन भागों में विभाजित किया गया।  * 1 राष्ट्रीय उद्यान * 2 अभ्यारण * 3 आखेट निषेध क्षेत्र   भारत सरकार ने सन् 1971 में 'बाघ परियोजना' पारित किया। जिम कार्बेट, उत्तराखंड भारत का प्रथम बाघ परियोजना क्षेत्र था। राजस्थान में प्रथम बाघ परियोजना सन् 1973 में शुरू हुई।  राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान -  1 रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान सवाई माधोपुर -   सन् 1955 में "रणथंभोर अभ्यारण" बनाया गया। इसके बाद इसमें " बाघ परियोजना" की सन् 1973 में शुरुआत की । सन 1980 में रणथंभोर को "राष्ट्रीय उद्यान" बनाया गया । 392 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान फैला हुआ है। यह राजस्थान राज्य का 'सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान' है । इसे "बाघों का घर" भी कहा जाता है। रणथंभोर को 'राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान' के नाम से भी जाना जाता है।  यहां पर "त्रिनेत्र गणेश मंदिर" स्थित है और गणेश चतुर्थी के दिन यहां पर मेला भी लगता है। 2 . केवलाद...

Subhadra Kumari Chauhan 1904 -1948 | सुभद्रा कुमारी चौहान-कवियत्री का जीवन परिचय भाषा शैली | Subhadra Kumari Chauhan poems

सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय - सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म नाग पंचमी के दिन 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के उत्तर प्रदेश के निहालपुर गांव में हुआ था । ठाकुर रामनाथ सिंह इनके पिताजी का नाम था। सुभद्रा कुमारी चौहान के तीन बहन और दो भाई थे। खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ 1919 में इनका विवाह हुआ था। क्रॉस्थवेट गर्ल्स कॉलेज इलाहाबाद में इनकी उच्च शिक्षा पूर्ण हुई थी। सुभद्रा कुमारी चौहान की अमर कविता झांसी की रानी के कारण इनको प्रसिद्धि मिली । गांधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली प्रथम महिला थी सुभद्रा कुमारी चौहान और वे दो बार जेल भी गई। मिला तेज से तेज नामक पुस्तक में इनकी पुत्री सुधा चौहान ने इनकी जीवनी लिखी है। 40 वर्ष की अवस्था में 15 फरवरी 1948 को एक कार दुर्घटना में इनका आकस्मिक निधन हुआ था। सुभद्रा कुमारी चौहान जी का साहित्य ओज एवं शौर्य के गुणों से भरा पड़ा है। इनके साहित्य में वीर रस की प्रधानता है ।सुभद्रा जी ने जो कुछ भी लिखा वह अविस्मरणीय एवं अद्वितीय है ।इन्होंने अपनी वीरता एवं ओजस्विता पूर्ण काव्य से अनेकों भारतीय युवक व युवतियों को राष्ट्रीय आंदोलनों में सक्रि...

women poem in Hindi | स्त्री कविता

 कैद में है वो घर की चहारदीवारी में    मुक्त हवाओं सी बहने दो हरदम क्यों रहता क्रंदन मन में खिल खिलाकर उसे हंसने दो हृदय में हजारों सपने संजोए हुए इन सपनों को उड़ान भरने दो रहती हो हरदम गुमसुम कभी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने दो जो आती है बाधाएं पथ में उसे इन बाधाओं से लड़ने दो गुमनामी के अंधेरों में खो गई है जो तुम्हारी पहचान अपना एक मुकाम बनाने दो। Written by - Neelam women poem in Hindi image

Jaishankar Prasad Biography in Hindi | जयशंकर प्रसाद - कवि

जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा ,सुमित्रानंदन पंत और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिंदी काव्य साहित्य में छायावाद के चार स्तंभ के रूप में माने जाते हैं । छायावाद ने हिंदी कविता को एक नया आयाम प्रदान किया है । यद्यपि हिंदी खड़ी बोली का आरंभ भारतेंदु युग से हुआ था किंतु हिंदी खड़ी बोली का प्रारंभ द्विवेदी युग से माना जाता है । और द्विवेदी युग में जो खड़ी हिंदी कविताएं लिखी गई वह इतिवृत्तात्मक थी ।  इतिवृत्तात्मक का अर्थ होता है कि जैसा हमने देखा वैसा ही उसका वर्णन कर दिया , संस्कृत के क्लिस्ट तत्सम शब्दों का  प्रयोग किया गया और बिना किसी लाग लपेट के छंद के रूप में उसको वर्णित कर दिया ।         जैसा कि हरिऔध जी लिखते हैं -  बैठी खिन्ना यक दिवस वे गेह में थीं अकेली। आके आँसू दृग-युगल में थे धरा को भिगोते।। इसमें केवल तत्सम शब्दों का प्रयोग है । जैसा देखा वैसे का वैसा वर्णन कर दिया । इसमें ना तो कल्पना और ना ही अलंकारों का प्रयोग किया गया है। लेकिन यही कविता जब छायावाद में आती है तो इसमें कल्पना रस माधुर्य अलंकार एवं शब्द शक्ति का प्रयोग बहुत ही सुंदरता से...