सूरदास के पद 2 सप्रसंग व्याख्या | Surdas ke pad 2 explanation in English

2 सूरदास के पद 2 सप्रसंग व्याख्या | Surdas ke pad 2 explanation in English कठिन शब्दार्थ माँझ - के मध्य में। बिथा - व्यथा, कष्ट agony . आस - आशा। दही - जलना । गुहारि - पुकारना। सप्रसंग व्याख्या - महाकवि सूरदास द्वारा रचित 'सूरसागर' के 'भ्रमरगीत' प्रसंग से प्रस्तुत पद्यांश उद्धृत है। इस पद में जब उद्धव जी गोपियों से कहते हैं कि कृष्ण को भूल जाओ और ज्ञान एवं योग की बातें करते हैं । तब गोपियाँ अपने मन की व्यथा उद्धव को बताती हैं । व्याख्या - गोपियां अपनी व्यथा को व्यक्त करते हुए उद्धव जी से कहतीं हैं कि अपने हृदय का प्रेम व्यक्त करने से पहले ही कृष्ण हमें छोड़ कर चले गए ,और हमारे मन की बातें हमारे मन में ही रह गई । हम उनसे कोई भी बात व्यक्त नहीं कर पाए अर्थात् कह नहीं पाए। हे उद्धव ! इसलिए अब हम अपने मन की व्यथा किससे जाकर कहें ? आगे गोपियां कहती है की है उद्धव ! अब तक तो हमें श्री कृष्ण के वापस आने की उम्मीद थी इसलिए हमने अपने तन-मन की व्यथा सहन की अर्थात् तकलीफ सहन की । उद्धव के योग और ज्ञान का सं...