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Surdas ke pad 4 explanation | Sandarbh Prasang Vyakhya

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         Surdas ke pad 4 explanation in english | Sandarbh Prasang Vyakhya in Hindi |सूरदास के पद की व्याख्या Class 10  'हरि है राजनीति पढ़ि आए ' संदर्भ तथा प्रसंग - महाकवि सूरदास द्वारा रचित सूरसागर के भ्रमरगीत प्रसंग से यह पद लिया गया है । इस पद में योग संदेश देने आए उद्धव को गोपियां कृष्ण के प्रति अपने प्रेम का उलाहना दे रही है, उनका कहना है कि श्री कृष्ण ने राजनीति सीख ली है और उसी का प्रयोग हमें योग संदेश देकर कर रहे हैं। Surdas ke pad 4 explanation| Sandarbh Prasang Vyakhya    व्याख्या -  कृष्ण के द्वारा भेजे गए उद्धव के मुख से योग संदेश सुनकर गोपियां कह रही है कि  श्री कृष्ण पहले से ही बहुत चतुर है ऊपर से अपने गुरु से राजनीति भी सीख ली है और उसका प्रयोग यह हम पर कर रहे हैं।  आगे गोपियां व्यंग्य करते हुए कहती है कि उनकी बुद्धि इतनी बड़ी हो गई है कि हम युवतियों को वह योग साधना का संदेश भिजवा रहे हैं अर्थात वह बुद्धिमान न होकर मूर्ख है क्योंकि कोई मूर्ख ही प्रेमी युवतियों के लिए योग साधना को उचित मान सकता है बुद्धिमान नह...

हमारे हरि हारिल की लकरी सप्रसंग व्याख्या

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सूरदास के पद - 3 की व्याख्या| Surdas ke pad' explanation in English | सूरदास के पद की व्याख्या Class 10|sandarbh prasang vyakhya|सप्रसंग व्याख्या कैसे करते हैं|संदर्भ प्रसंग व्याख्या कैसे लिखें|सप्रसंग व्याख्या कैसे करें|सप्रसंग व्याख्या करें|संदर्भ प्रसंग व्याख्या|sprasang vyakhya| संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए |सप्रसंग व्याख्या कीजिए|saprasang vyakhya kaise karte hain|how to write sandarbh in hindi हमारें हरि हारिल की लकरी। मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।  जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, काह-कान्ह जक री।  सुनत जोग लागत है ऐसी, ज्याँ करुई ककरी। सु तौ ब्याधि हमकाँ ले आए, देखी सुनी न करी । यह तौ ' सूर ' तिनहिं लै सौंपी, जिनके मन चकरी।। कठिन शब्दार्थ - हारिल - हरे रंग का कबूतर   । लकरी - लकड़ी। क्रम - कर्म।  उर - ह्रदय। दृढ़ - प्रगाढ़। जक - हठ । करुई - कड़वी । ककरी - ककड़ी। ब्याधि - पीड़ा। संदर्भ प्रसंग - प्रस्तुत पद महाकवि सूरदास द्वारा रचित सूर-सारावली के भ्रमरगीत प्रसंग से लिया गया है।  इस पद में गोपियों ज्ञान एवं योग की बातें सिखाने आए उ...