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Showing posts from December, 2020

गोस्वामी तुलसीदास | गोस्वामी तुलसीदास जीवन परिचय

 गोस्वामी तुलसीदास  समाज सुधारक हिंदू धर्म के संरक्षक युग प्रणेता गोस्वामी तुलसीदास की महत्ता उपर्युक्त दोहे से स्पष्ट है सूर सूर तुलसी शशि, उड्डगन केशवदास । अब के कवि खद्योतसम, जह-तह करत प्रकाश ।। तुलसीदास जी का पदार्पण ऐसे समय में हुआ जिस समय भारत का समाज एवं धर्म संकट ग्रस्त था। तुलसी ने अपनी काव्य रचना द्वारा आपदा को यथासंभव टालने का प्रयास किया और इसमें सफलता भी प्राप्त की । बड़ी शक्तियों का विकास कठिनाई में ही होता है ।   इनका प्रादुर्भाव ऐसे समय में हुआ जब विदेशी आक्रांताओं के दमन एवं शोषण से भारतीय धर्म तथा समाज कराह रहा था लोगों की आस्थाविश्वास एवं धर्म निष्ठा निरंतर शिथिल एवं निर्जीव होती जा रही थी परोपकारी तुलसीदास ने गहराई से लोकमानस को टटोला और उसके समाधान के लिए राम के लोक रक्षक चरित्र को जनमानस के सम्मुख प्रस्तुत किया एवं प्रकाश स्तंभ बन कर जन्म जन्म का मार्ग आलोकित किया । जीवन परिचय -    उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गांव में संवत् 1589 के लगभग तुलसीदास जी का जन्म माना जाता है । इनके पिता जो कि एक सरयूपारीण ब्राह्मण थे उनका नाम आत्माराम...

Mahadevi Verma | महादेवी वर्मा जीवन परिचय

जीवन परिचय |महादेवी वर्मा कीकाव्यगत विशेषताएं|पुरस्कार|महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं महादेवी महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 को फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश मैं हुआ । इनके पिता का नाम गोविंद प्रसाद शर्मा था ।  ये भागलपुर के एक कॉलेज में प्राध्यापक थे। इनकी माता जी का नाम हेमरानी देवी था। जो कि एक धर्म परायण और कर्म निष्ठ ग्रहणी थे। इंदौर के मिशन स्कूल में महादेवी वर्मा की प्रारंभिक शिक्षा हुई और क्रोस्थवेट गर्ल्स कॉलेज इलाहाबाद में उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। सुभद्रा कुमारी चौहान से नॉर्थ वेस्ट कॉलेज में इनकी मुलाकात हुई और यह उनके संपर्क में भी आ रही है जिससे इनकी साहित्यिक जीवन की शुरुआत हुई।     बरेली के पास नवाबगंज कस्बे के निवासी स्वरूप नारायण वर्मा के साथ महादेवी वर्मा का विवाह अल्पायु में हुआ किंतु इनको वैवाहिक जीवन के प्रति विरक्ति- सी रही ।    प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचार्य के रूप में महादेवी वर्मा ने लंबे समय तक कार्य किया । महादेवी वर्मा का निधन 1987 में इलाहाबाद में हुआ ।    छायावादी युग की प्रमुख कवयित्री महादेवी वर्मा है ।...

Rajasthan mein Panch Peer ke lok Devta | राजस्थान के लोक देवता

  जिन महापुरुषों ने धेनु ,धर्म और धरा की रक्षा हेतु कार्य किए और संघर्ष करते हुए आत्म - बलिदान दिया उन्हें लोक देवता ने कहा है। मंदिरों की स्थापना की जाती है और इनकी पूजा की जाती है प्रसिद्ध मेले भी लगते हैं। राजस्थान के पंच पीर -   लोगों ने जिन व्यक्तियों को देवता के समान मान लिया है उन्हें लोक देवता कहते हैं किसी व्यक्ति के अच्छे कार्यों को देख कर उसके आध्यात्मिक व्यवहार को देखकर लोगों द्वारा उन्हें देवता मान लिया जाता है उन्हें  लोक देवता कहते हैं जिस प्रकार हिंदू धर्म में लोक देवताओं की पूजा की जाती है उसी प्रकार मुस्लिम लोगों में भी पीर बाबा  की पूजा की जाती है राजस्थान के ऐसे पांच लोक देवता हैं जिन्हें मुस्लिम लोग भी उन्हें पीर समझ कर उनकी पूजा करते हैं उन्हीं लोक देवताओं को पंच पीर कहा जाता है । पंच पीर -:  🔵 रामदेव जी , रामसापीर 🔵 गोगाजी 🔵 पाबूजी  🔵 हड़बूजी 🔵 मेहा जी इलो जी -  कल्ला राठौड़  - कुछ ऐसे व्यक्ति जिन्होंने समाज के हितार्थ गोवंश की रक्षा दलित की उद्धार और धर्म की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और साथ ही अपने प्र...

प्रयास कविता | Prayas par kavita

   प्रयास कविता   न हार मान तू कर प्रयास बार - बार, भले ही मिले असफलता हजार बार । सीखने की ललक हृदय में रख अनवरत, बैठा रह गया जो यूं बन के जडव़त। अधर में ही जो छोड़ दी करनी मेहनत,  न सीख पायेगा न कभी मिलेगी जीत। रुका जो यूं कभी नहीं मिलेगी मंजिलें , ठहरने के बाद दे चाहे जितनी भी दलीलें । मिलेगा कुछ न आयेगा कुछ तेरे हाथ, विविध राहें भी छोड़ देंगी तेरा साथ। अनेक कोशिशों में भी अर्थ होता है, एकाधिक प्रयत्न कब व्यर्थ होता है ? कर्तव्य की राह में कई बाधाएं आएंगी , अविविक्त प्रकार से हर बार सताएंगी। उन ह्रस्व चींटियों से कर ग्रहण अधिगम, जो करतीं हैं बारम्बार सतत्  उपक्रम । न समझ आये तो सीख ले नदी से, वो तलाश कर बनातीं हैं तदबीर खुदी से। भयभीत होकर इनसे न घबराना, पीछे मुड़के न देख आगे बढ़ते ही जाना । written by 🖋️ NEELAM कठिन शब्दार्थ :- जड़वत - मूर्खतपूर्वक, दलीलें - तर्क युक्ति , एकाधिक -कई बार , अविविक्त - अनेक , ह्रस्व -छोटी ,ग्रहण - अपनाना ।अधिगम - सीखना ,विद्वता । सतत - लगातार ।उपक्रम - कार्य । तदबीर- रास्ता ।