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Showing posts from April, 2025

खेजड़ी की खेती से लाखों की कमाई: रेगिस्तानी ज़मीन पर भी उगाएं सोना

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  खेजड़ी की खेती राजस्थान और अन्य शुष्क इलाकों के किसानों के लिए एक टिकाऊ और लाभकारी विकल्प बन चुकी है। कम पानी, कम देखभाल और बहुपयोगी गुणों के कारण, खेजड़ी के पेड़ ना सिर्फ़ सेंजन (फलियां) और चारा देते हैं, बल्कि इसकी लकड़ी भी अच्छी आय का स्रोत बनती है। आज के समय में जब किसान रेगिस्तानी ज़मीन पर खेती के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब Khejri ki kheti उन्हें लाखों की कमाई का मौका देती है - वो भी पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए Khejri (Prosopis cineraria) एक बहुत ही महत्वपूर्ण पेड़ है, खासकर भारत के राजस्थान, गुजरात और हरियाणा जैसे शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में। इसे "रेगिस्तान का राजा" भी कहा जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख बातें हैं Khejri पेड़ के बारे में: 1. पर्यावरणीय लाभ: मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है – इसकी पत्तियाँ और गिरी हुई टहनियाँ मिट्टी को पोषण देती हैं। रेत के कटाव को रोकता है – इसकी जड़ें मिट्टी को पकड़कर रखती हैं। जलवायु सहिष्णुता – यह बहुत कम पानी और तेज़ गर्मी में भी जीवित रह सकता है। 2. कृषि में उपयोग: खेतों में लगाना शुभ माना जाता है – राजस्थान में अक...

हर बूँद कीमती है – बारिश का पानी ज़मीन में उतारो, सोकपिट बनाओ | Don’t Waste Rainwater – Make a Soak Pit

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  वर्षा जल सोखने का गड्ढा सिस्टम वर्षा जल को जमीन में रिसने, भूजल को फिर से भरने और सतही अपवाह या जलभराव को रोकने के द्वारा प्रबंधित करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है। यहाँ बताया गया है कि यह कैसे काम करता है और इसे कैसे बनाया जाता है: सोखने का गड्ढा क्या है ? सोखने का गड्ढा (जिसे सोखने का गड्ढा या परकोलेशन पिट भी कहा जाता है) एक ढका हुआ, छिद्रपूर्ण दीवार वाला कक्ष होता है जो पानी को धीरे-धीरे जमीन में सोखने देता है। यह वर्षा जल को इकट्ठा करता है - आमतौर पर छतों या पक्की सतहों से - और इसे मिट्टी में गहराई तक जाने देता है। बुनियादी संरचना गड्ढे का आयाम: आम तौर पर 1 मीटर x 1 मीटर x 1.5 मीटर, लेकिन बारिश और क्षेत्र के आधार पर भिन्न हो सकता है। गहराई: आम तौर पर 1 से 2 मीटर। भरा हुआ: बजरी, मोटी रेत और कभी-कभी टूटी हुई ईंटों या पत्थरों की परतें। ऊपरी आवरण: मलबे को अंदर जाने से रोकने के लिए छिद्रित कंक्रीट स्लैब या जाल।  यह कैसे काम करता है ? छतों या नालियों से वर्षा जल को पाइप या चैनलों के माध्यम से सोख गड्ढे में भेजा जाता है। मलबा और गाद को हटाने के लिए पानी एक फिल्टर (वैकल्पिक ल...

Date Palm Farming Guide in Hindi: खजूर की खेती की पूरी जानकार

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  खजूर की खेती (Date Palm Farming) पूरी जानकारी खजूर (Phoenix dactylifera) एक बहुवर्षीय और सूखा-सहिष्णु फसल है, जो गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी तरह बढ़ती है। इसकी खेती मुख्य रूप से मध्य पूर्व, अफ्रीका और भारत के राजस्थान, गुजरात, पंजाब और दक्षिणी राज्यों में होती है। यदि आप शुष्क और रेगिस्तानी क्षेत्रों में खेती करना चाहते हैं, तो खजूर एक लाभदायक विकल्प हो सकता है । 1. खजूर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी जलवायु: गर्म और शुष्क जलवायु में खजूर सबसे अच्छी तरह बढ़ता है। यह 40-50°C तक की उच्च तापमान को सहन कर सकता है। कम से कम 100-120 मिमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र उपयुक्त होते हैं। मिट्टी: अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। pH मान 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए। खारेपन को सहन कर सकता है, लेकिन अत्यधिक लवणीय मिट्टी से बचना चाहिए। 2. खजूर की खेती के लिए पौध तैयार करना खजूर को मुख्य रूप से तीन तरीकों से उगाया जाता है: 1. बीज से: लेकिन यह तरीका सही नहीं होता क्योंकि इससे विकसित पौधे माता-पिता की तरह नहीं होते। 2. ऑफशूट (पिल्ले) से: यह सबसे अ...